स्स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना
अनुवाद: Rishabh Manocha
पुस्तक के विषय में:इक्कीस वर्ष की आयु में रिचर्ड कार्लसन जूनियर को पैरानॉयड स्किज़ोफ्रेनिया हुआ । उनके रोग के लक्षण प्रारम्भिक किशोरावस्था में प्रत्यक्ष हुए । आधुनिक मनोरोग-
विज्ञान ने उन्हें एक दशक से भी अधिक समय तक बहुत निराश किया । फिर पुलिस के साथ हुई घटना के पश्चात उन्हें वस्तुतः इस बात का बोध हुआ कि उनका पैरानॉयड स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित होना मिथ्या नहीं था,
तथा अंततः वे स्वास्थ्यलाभ की लंबी राह पर चल पड़े । दस वर्ष से भी अधिक लम्बी समय-
अवधि के पश्चात् उनके जीवन में बहुत बड़ा सुधार आया है । अपने उपचार के दौरान,
रिचर्ड ने अवसाद,
ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर एवं प्रमाद-
आलस्य पर विजय प्राप्त की ।रिचर्ड की कहानी को अपनी,
अपने किसी परिजन अथवा गंभीर मनोरोग से जूझ रहे किसी रोगी की कहानी न बनने दें । एक-
दूसरे एवं स्वयं के प्रति सदैव ईमानदार रहें । अधिक सीखने को इच्छुक रोगी,
परिजन,
देखरेख करने वाले,
छात्र एवं मेडिकल व्यवसायी वेबसाइट www.survivingschizophrenia.com
देखें ।लेखक के विषय में:रिचर्ड कार्लसन जूनियर बाल कथाओं एवं वयस्क रोमांस कहानियों के लेखक हैं । वे एक अत्यंत संवेदनशील (
एच.
एस.
पी)
व्यक्ति हैं,
जो पैरानॉयड स्किज़ोफ्रेनिया एवं ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित हैं । उनके विषय में आप www.rich.center
पर पढ़ सकते हैं ।अध्याय 1ईमानदार रहेंजानकारी महत्त्वपूर्ण है। इसलिए कृपया ध्यान दें ।
गंभीर मानसिक रोग से जूझने के अपने अनुभव से मैंने जो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात सीखी है,
वह यह है कि आप दूसरों एवं स्वयं के प्रति ईमानदार रहें । ईमानदारी सफल एवं संतोषप्रद जीवन की आधारशिला मात्र ही नहीं है –
उसके बिना न तो आपका आवश्यक उपचार हो सकता है तथा न ही आपको वास्तविक स्वास्थ्यलाभ की अनुभूति हो सकती है ।
झूठ बोल-
बोल कर अपने जीवन को व्यर्थ न करें ।
अपने मनोचिकित्सकों एवं परिवार के प्रति ईमानदार न होने के कारण दस वर्षों से अधिक समय तक मेरा पर्याप्त उपचार नहीं हो सका । अपने जीवन के उन दस वर्षों की पुनः प्राप्ति मुझे नहीं हो सकती ।
इसी घड़ी ईमानदार होने में संकोच न करें। इसी बात पर आप का जीवन निर्भर हो सकता है ।अध्याय 2न्यू यॉर्क सिटी में जन्म1970
के दशक के आरंभ में स्टौर्क ने मुझे मेरी माँ की गोद में डाल दिया था । मेरे पिता मध्यमवर्गी एवं कैथोलिक थे,
तथा हम एक यहूदी मोहल्ले के निकट किसी अच्छी गली में रहते थे । क्या आपको मालूम था कि स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्तियों की शहरी वातावरण में जन्म लेने तथा रहने की संभावना अधिक होती है?
मेरी बाल्यावस्था का एक बड़ा भाग न्यू यॉर्क शहर में बीता,
अतः मुझे अक्सर यह सोच कर आश्चर्य होता है कि इस का कितना अंतर पड़ा है ।
मेरी माता एक परिश्रमी महिला थी,
जो घर पर रहकर मेरी एवं मेरे छोटे भाइयों,
माइक और स्टीव,
की देखभाल किया करती थी । मेरे पिता एक महान पिता थे । उन्होंने मेरे समक्ष एक अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किया । एक बार वे मुझे अपशिष्ट जल उपचार केंद्र ले गए,
जहाँ वे काम किया करते थे । वे और मेरी माँ हमारा बहुत ध्यान रखते थे। उन दिनों जीवन परिपूर्ण प्रतीत होता था ।
मेरी सबसे पुरानी स्मृतियाँ अपने दादा-
दादी की हैं,
जो हमारे घर की पहली मंजिल पर रहते थे । मेरे माता-
पिता,
भाई-
बहन और मैं ऊपरी मंजिल पर रहते थे । उन्हें देखने के लिए हर सुबह मैं पाजामा पहने दौड़ कर नीचे चला जाता था । सत्रह वर्ष की आयु में दादाजी पोलैंड से आकर यहाँ बस गए थे । दादीमाँ का जन्म तो अमेरिका में हुआ था,
परन्तु वे पोलैंड में बड़ी हुई थी । मुझे उनसे बहुत प्रेम था । दादीमाँ के बारे में जो बातें मेरी स्मृति में अंकित हैं ,
उनमें से एक है उनका रात के खाने में मेरे लिए पिएरोजिस बनाना । अपने दादा-
दादी के कारण मेरे लिए मेरी पोलिश परंपरा इतनी महत्त्वपूर्ण है ।
मेरे दादाजी बहुत ही अच्छे अनुकरणीय व्यक्ति थे –
मैं बड़ा होकर बिलकुल उनके जैसा बनने की प्रतीक्षा नहीं कर सकता था । मैं अपने पिता का सम्मान करता था,
जो कि बहुत ही अच्छे पिता थे,
परन्तु दादाजी तो मेरी स्मृतियों में ही बसे हैं । वे एक अच्छे व्यक्ति थे,
तथा हम इकट्ठे शहर में लंबी सैर पर निकल जाते थे ।
जब मैं चार वर्ष का था,
तो मैंने अपने खिलौने बैटमोबाइल कार के साथ हमारे पड़ोसी टेडी द्वारा उनके सामने वाले प्रांगण में लगाए गए ताज़ा सीमेंट में टायर ट्रैक बना दिए थे,
तथा दादाजी ने बाद में मेरे लिए उस सीमेंट को समतल किया था ।
दादाजी के सिर पर बाल नहीं थे । वे मोटा चश्मा लगाते थे तथा धुम्रपान करने के कारण,
उनसे सिगार की गंध आती थी ।
“
ऐसा मत करो!”
दादाजी ने मुझे खिड़की से देखा तो चिल्लाकर कहा । “
नहीं!”
फिर भी मैं ताज़ा सीमेंट पर अपने नए बैटमोबाइल को चलाता रहा । बैटमोबाइल के पहिए और मेरे छोटे-
छोटे हाथ सूख रहे सीमेंट से मैले हो गए थे । दादाजी दौड़ते हुए बाहर आए तो सूरज बादलों के पीछे से प्रकट हुआ ।
“
व्रूम,
व्रूम,
व्रूम!”,
मैं बैटमोबाइल को और तेज़ी से दौड़ाते हुए बड़बड़ाया । बैटमैन और रौबिन को दुष्ट जोकर को पकड़ना था । दादाजी ने मेरी कलाई पकड़ी और मेरी खिलौना कार को गंदगी से बाहर निकाला । मैं अवज्ञा में चिल्लाया, “
नहीं,
दादाजी!”
। मैंने अपनी पीठ मोड़ ली और गाड़ी से लिपट गया । मैं बिल्कुल भी न हिलने का प्रयास करने लगा । अच्छी तरह मेरे हाथ धुलवाने के लिए वे मुझे तहखाने की खड़ी सीड़ियों से नीचे ले गए ।
लेकिन जोकर!
बैटमैन और रौबिन को मेरी मदद की ज़रूरत है!
“
सीमेंट में मत खेलो,
रिचर्ड”,
उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा । गुस्से में उनका स्लाव भाषा का उच्चारण और भी सुस्पष्ट हो जाया करता था ।
“
मोबाइल”,
मैंने और खेलने कि चाह में कहा,
फिर भले ही उस समय वे मेरी आस्तीनों को ऊपर कर रहे थे । मेरा खिलौना लौटाने की जगह उन्होंने उसे साफ़ कर फिर मेरे हाथ धोए।
मुझे अब भी बैटमैन की सहायता करने की आवश्यकता थी । इसलिए मैंने उनसे घर के पिछवाड़े में खेलने की अनुमति मांगी । उनके हाँ बोलते ही मैं विशालकाय झाड़ियों की गंदगी की ओर भागा । गीली मिटटी में से बच कर निकलते हुए मेरी छाती में झनझनाहट होने लगी ।
“
व्रूम,
व्रूम,
व्रूम!”
बैटमोबाइल गोथम बैंक की ओर दौड़ पड़ा ।
मैंने जोकर को रोक दिया!
मैं हीरो हूँ!
मेरे माता-
पिता एवं दादा-
दादी मुझसे बहत ज्यादा प्रेम करते थे ।अभी इस पुस्तक को प्राप्त करें!Amazon.inAmazon.comAmazon.co.ukAmazon.caAmazon.com.au